उत्तराखंड त्रिस्तरीय पंचायत उपचुनाव की चुनावी तस्वीर साफ। 321 पदों के लिए 2266 प्रत्याशी लड़ेंगे चुनाव, जबकि 27,221 उम्मीदवार निर्विरोध चुने गए। 20 नवंबर को मतदान और 22 नवंबर को मतगणना होगी। जिलावार उम्मीदवारों की पूरी जानकारी यहाँ पढ़ें।
देहरादून। उत्तराखंड में त्रिस्तरीय पंचायत उपचुनाव की चुनावी तस्वीर अब साफ हो गई है। राज्य निर्वाचन आयोग के अनुसार, अब कुल 321 पदों के लिए 2266 उम्मीदवार चुनावी मैदान में अपना भाग्य आजमा रहे हैं। यह आंकड़ा नाम वापसी की अंतिम तिथि के बाद सामने आया है, जिससे साफ है कि अधिकांश रिक्त पदों पर चुनाव नहीं होगा।
बड़ी संख्या में निर्विरोध जीत
दरअसल, राज्य निर्वाचन आयोग ने 32,985 रिक्त पदों के लिए उपचुनाव की अधिसूचना जारी की थी। कुल 30,800 प्रत्याशियों ने नामांकन दाखिल किया था। नामांकन पत्रों की जांच और नाम वापसी की प्रक्रिया पूरी होने के बाद एक चौंकाने वाला आंकड़ा सामने आया है। राज्यभर में 27,221 प्रत्याशी निर्विरोध निर्वाचित हो चुके हैं। केवल 321 पदों पर ही अब मतदान होगा, जिससे चुनाव आयोग और प्रशासन का काम काफी आसान हो गया है। नामांकन निरस्त होने और वापस लेने वाले प्रत्याशियों की संख्या भी काफी कम रही है।
321 पदों पर किस वर्ग के कितने उम्मीदवार?
जिन 321 पदों पर चुनाव होने हैं, उनमें सदस्य ग्राम पंचायत के 316 पदों के लिए 2255 उम्मीदवार, प्रधान के चार पदों के लिए नौ उम्मीदवार, और सदस्य जिला पंचायत के एक पद के लिए दो उम्मीदवार शामिल हैं। सबसे ज्यादा मुकाबला अल्मोड़ा, ऊधमसिंह नगर, बागेश्वर और पौड़ी जैसे जिलों में देखने को मिलेगा। उदाहरण के लिए, ऊधमसिंह नगर में 109 पदों के लिए 226 उम्मीदवार, जबकि पौड़ी में 60 पदों के लिए 123 उम्मीदवार मैदान में हैं। बागेश्वर में 1611 पदों के लिए 1555 प्रत्याशी चुनाव लड़ रहे हैं, जो एक बड़ा आंकड़ा है। अधिक जिलावार जानकारी के लिए आप राज्य निर्वाचन आयोग की आधिकारिक अधिसूचना (External Link Suggestion) देख सकते हैं।
मतदान और मतगणना की तारीख
नामांकन प्रक्रिया 13 और 14 नवंबर को संपन्न हुई थी। नाम वापसी के बाद अब आयोग ने सभी उम्मीदवारों को चुनाव चिह्न आवंटित कर दिए हैं। अब 20 नवंबर को कुल 235 मतदान स्थलों पर वोट डाले जाएंगे। इसके बाद, 22 नवंबर को मतगणना की जाएगी और चुनाव परिणाम घोषित कर दिए जाएंगे। इस उपचुनाव के बाद राज्य में त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था के रिक्त पद भर जाएंगे, जिससे ग्रामीण विकास कार्यों को गति मिलेगी।

