राजधानी देहरादून के कई सरकारी हॉस्पिटलों में डॉक्टरों की कमी लंबे समय से बनी हुई है.
देहरादून: देहरादून जिले के सरकारी अस्पतालों में स्पेशलिस्ट चिकित्सकों की कमी बनी हुई है. राजधानी के अस्पतालों में विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी बीते लंबे समय से चली आ रही है, हालांकि इस कमी को दूर करने के लिए सरकार की तरफ से कदम भी उठाई जा रहे हैं. लेकिन स्पेशलिस्ट चिकित्सकों की कमी का खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ रहा है.
विशेषज्ञ डॉक्टरों के अभाव के कारण जिले के स्वास्थ्य केंद्र रेफर सेंटर बन रहे हैं, जिस कारण मरीजों को दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल, कोरोनेशन अस्पताल या फिर प्राइवेट अस्पतालों का रुख करना पड़ रहा है. वर्तमान स्थिति की बात की जाए तो देहरादून जनपद मे सामान्य और स्पेशलिस्ट डॉक्टरों को मिलाकर 331 पद स्वीकृत हैं, इनमें से संविदा, “यू कोट, वी पे” (You Quote, We Pay) व नियमित नियुक्ति के तहत डॉक्टर्स जिले में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. लेकिन इन पदों के सापेक्ष सिर्फ 45% विशेषज्ञ चिकित्सक ही विभिन्न अस्पतालों में नियुक्त है.
देहरादून के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ मनोज शर्मा ने बताया कि इसकी मुख्य वजह यह है कि स्पेशलिस्ट डॉक्टर्स अपेक्षाकृत कम ज्वाइन कर रहे हैं और यह समस्या अभी भी बनी हुई है. हालांकि सरकार की तरफ से डॉक्टरों की कमी को पूरा करने के लगातार प्रयास किया जा रहे हैं और उन्हें सेवायें देने के लिए प्रोत्साहित किए जा रहे हैं. कुछ माह पूर्व सरकार ने नए डॉक्टरों की भर्ती की थी. एक बार फिर से 285 चिकित्सकों का अधियाचन निकलने वाला है. उन्होंने कहा कि यह एक समस्या है कि “यू कोट, वी पे” के माध्यम से भी डॉक्टरों की कमी पूरी नहीं हो पा रही है.
इसके माध्यम से भी सरकार निरंतर यह प्रयास कर रही है कि किस तरह से विशेषज्ञ डॉक्टरों के खाली पदों को भरा जाए, ताकि ग्रामीण और दूर दराज के शेत्रों में इन्हें तैनात किया जा सके. स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों पर अगर गौर करें तो जनपद देहरादून की चिकित्सा इकाइयों में चिकित्सा अधिकारी के कुल 311 पद स्वीकृत हैं, इनमें से 284 कार्यरत हैं, रिक्त पद 27 चल रहे हैं. जबकि 253 नियमित चिकित्सा अधिकारी के पद हैं. देहरादून के विभिन्न अस्पतालों में संविदा के तहत 23 डॉक्टर अपनी सेवाएं दे रहे हैं. बांडेड डॉक्टरों की संख्या 7 है. 23 सामान्य चिकित्सक स्नातकोत्तर प्रशिक्षण ले रहे हैं. जबकि जनपद में 10 डॉक्टर्स अनुपस्थित चल रहे हैं. वर्तमान में जिले के भीतर 248 डॉक्टर कार्यरत हैं. स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक अभी कुछ नए डॉक्टरों ने भी स्वास्थ्य सेवाएं देने के लिए जॉइनिंग की है.
गौर हो कि सरकारें डॉक्टरों की कमी को दूर करने के लिए “यू कोट, वी पे” (You Quote, We Pay) योजना का इस्तेमाल कर रही हैं, जिसमें डॉक्टर अपनी सैलरी (वेतन) की दर खुद कोट करते हैं और सरकार भुगतान करती है. यह योजना खास तौर पर उत्तराखंड जैसे राज्यों में दूरस्थ पहाड़ी इलाकों में विशेषज्ञों को आकर्षित करने के लिए शुरू की गई है, ताकि ग्रामीणों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मिल सके.
