उत्तराखंड की पहली ग्रीन बिल्डिंग को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं. अब बीजेपी कांग्रेस के नेता खुलकर इस बारे में सवाल कर रहे हैं.
देहरादून: राजधानी देहरादून शहर के बीचों-बीच बना रही राज्य की पहली ग्रीन बिल्डिंग को लेकर न केवल कांग्रेस बल्कि भारतीय जनता पार्टी के नेताओं ने भी अब सवाल खड़े करने शुरू कर दिए हैं. ग्रीन बिल्डिंग को लेकर हरीश रावत ने राज्य और केंद्र सरकार के साथ-साथ कार्यदाई संस्था पर सवाल खड़े किए हैं. वहीं पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भी ग्रीन बिल्डिंग को लेकर सवाल खड़े किये हैं.
देहरादून के पुराने रोडवेज डिपो की जमीन पर बन रही ग्रीन बिल्डिंग का निर्माण अक्टूबर महीने में पूरा होना था. 206 करोड़ रुपए की लागत से बन रही ग्रीन बिल्डिंग में एक ही छत के नीचे सभी विभागों को बैठेंगे. त्रिवेंद्र सरकार की इस घोषणा को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अपना ड्रीम प्रोजेक्ट बनाया. साथ ही काम में तेजी लाने के निर्देश दिये. ग्रीन बिल्डिंग में 70% पैसा केंद्र सरकार का लगा. जबकि 30% पैसा राज्य सरकार को देना है. हैरानी की बात यह है कि सालों बीत जाने के बाद भी अभी तक बिल्डिंग साइट पर खुदाई का काम ही चल रहा है. इसके साथ ही इससे विवाद भी जुड़ गये हैं.
बीते हफ्ते खनन विभाग ने खुदाई कर रही एक पोकलैंड मशीन को सीज किया. साथ ही 5 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया. खनन विभाग ने कहा अनियमिताओं और बिना परमिशन के यहां कुछ गतिविधियां चल रही थी. पहले भी इस बिल्डिंग को लेकर जिला अधिकारी स्तर पर कार्रवाई की गई है. जिसके कारण ग्रीन बिल्डिंग की कार्यदायी संस्था सवालों के घेरे में है.
हरीश रावत ने उठाये सवाल: कांग्रेस नेता हरीश रावत ने इस बिल्डिंग को लेकर सरकार से सवाल किए हैं. हरीश रावत ने कहा उन्हें जानकारी मिल रही है कि जो केंद्र सरकार से पैसा आया हुआ है अब वह पैसा वापस जा रहा है. बिल्डिंग निर्माण समय पर पूरा नहीं हो पा रहा है. हरीश रावत ने कहा है कि जिस तरह से भ्रष्टाचार की खबरें लगातार ग्रीन बिल्डिंग को बनाने के दौरान आ रही हैं वो हैरान कर रही हैं. उन्होंने कहा आखिरकार शहर के बीचों-बीच इस तरह के कार्य कैसे हो रहे हैं? हरीश रावत ने कहा ग्रीन बिल्डिंग को लेकर जो भी कुछ हो रहा है वह अब बेहद चिंताजनक है. राज्य सरकार को इस पर ध्यान देना चाहिए.
उधर पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भी ग्रीन बिल्डिंग को लेकर सवाल खड़े किए हैं. हरीश रावत के बाद त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा किसी भी कार्य का जब शिलान्यास होता है तो उसके पूरे होने का समय भी निर्धारित होता है. अगर समय से कोई काम नहीं होता तो कार्यदायी संस्था पर जुर्माना बनता है. इसके साथ ही सरकार को लेटलतीफी का कारण देखना चाहिए. इसके कारण कॉस्ट बढ़ रही है. यह राज्य के लिए सही नहीं है.
