सरकार शैक्षणिक व्यवस्था को बेहतर बनाने में जुटी है. इसी क्रम में शैक्षणिक रिकॉर्ड्स के डिजिटलीकरण पर डेडलाइन दी गई है.
देहरादून: उत्तराखंड में विश्वविद्यालयों को शैक्षणिक रिकॉर्ड्स के डिजिटलीकरण पर डेडलाइन दी गई है. इस दौरान प्रदेश में उच्च शिक्षा के अंतर्गत छात्रों के सभी शैक्षणिक दस्तावेजों को डिजिलॉकर में अपलोड करना होगा. राज्य में साल 2021 से 2024 तक के सभी रिकॉर्ड्स विभिन्न प्लेटफार्म पर अपलोड करने के निर्देश जारी हुए हैं.
प्रदेश में उच्च शिक्षा संस्थानों के शैक्षणिक रिकॉर्ड का डिजिटलीकरण अब बड़ी चुनौती बन गया है. दरअसल विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने दस्तावेजों के डिजिटलीकरण को लेकर समय सीमा तय की है. जिसके तहत 15 दिनों के भीतर विश्वविद्यालयों को यह काम पूरा करना होगा.
राज्य सरकार ने सभी राजकीय एवं निजी विश्वविद्यालयों को निर्देश दिए हैं कि वे विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा निर्धारित समय सीमा के भीतर शैक्षणिक वर्ष 2021 से 2024 तक के समस्त शैक्षणिक दस्तावेज, क्रेडिट रिकॉर्ड तथा छात्रों की अपार आईडी से जुड़ा डेटा डिजीलॉकर, नेशनल एकेडमिक डिपॉजिटरी और अकैडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट्स प्लेटफॉर्म पर अनिवार्य रूप से अपलोड करें. इसका उद्देश्य छात्र-छात्राओं को उनके शैक्षणिक प्रमाणपत्रों और अन्य दस्तावेजों की ऑनलाइन उपलब्धता सुनिश्चित करना है.
उच्च शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत ने बताया कि राज्य सरकार उच्च शिक्षा के क्षेत्र में डिजिटल परिवर्तन को प्राथमिकता दे रही है. इसी क्रम में प्रदेशभर के विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में अध्ययनरत सभी छात्रों के शैक्षणिक प्रमाणपत्र, क्रेडिट डेटा और अन्य महत्वपूर्ण दस्तावेजों को एनएडी और एबीसी प्लेटफॉर्म पर अपलोड किया जा रहा है. इससे छात्रों को किसी भी समय, कहीं भी अपने शैक्षणिक दस्तावेज आसानी से उपलब्ध होंगे, जिससे पारदर्शिता, सुगमता और समय की बचत सुनिश्चित होगी.
UGC ने विश्वविद्यालयों को शैक्षणिक रिकॉर्ड को डिजिलॉकर पर अपलोड करने की समयसीमा बढ़ाकर 30 नवम्बर 2025 कर दी है. इसलिए प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों को इस समय सीमा का पालन करने और साल 2021 से 2024 तक के सभी छात्रों के दस्तावेज, अपार आईडी डेटा और क्रेडिट रिकॉर्ड तत्काल एनएडी-एबीसी प्लेटफॉर्म पर अपलोड करने के निर्देश जारी किए गए हैं.
उधर 19 नवम्बर 2025 को दून विश्वविद्यालय में एनएडी-एबीसी प्लेटफॉर्म पर डेटा अपलोडिंग की प्रगति की समीक्षा के लिए कार्यशाला एवं बैठक आयोजित की जाएगी. इसमें सभी विश्वविद्यालयों के परीक्षा नियंत्रकों, नोडल अधिकारियों और तकनीकी कर्मियों को अद्यतन रिपोर्ट व आवश्यक दस्तावेजों के साथ उपस्थित रहने को कहा गया है.
केन्द्र सरकार की एनएडी-एबीसी प्रणाली न केवल विद्यार्थियों को डिजिटल शैक्षणिक पहचान उपलब्ध कराती है, बल्कि क्रेडिट ट्रांसफर को भी सरल बनाती है. यह व्यवस्था नई शिक्षा नीति-2020 के प्रभावी क्रियान्वयन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है.
