उत्तराखंड शासन ने अहम कदम उठाया है. जिसके तहत पदोन्नति में शिथिलता को दूर करने की कोशिश की गई है.
देहरादून: उत्तराखंड शासन ने सरकारी सेवकों की पदोन्नति में शिथिलता प्रदान करने के नियमों में बड़ा बदलाव किया है. कार्मिक एवं सतर्कता अनुभाग-2 द्वारा जारी उत्तराखंड सरकारी सेवक पदोन्नति के लिए अधीनस्थ सेवा में शिथिलीकरण संशोधन नियमावली, 2025 के तहत अब शिथिलता की प्रक्रिया को अधिक स्पष्ट, पारदर्शी और व्यवहारिक बनाया गया है.
सरकारी सेवकों के लिए पदोन्नति में शिथिलता के नए नियम तय किए गए हैं. सरकार ने उत्तराखंड सरकारी सेवक पदोन्नति के लिए अर्हकारी सेवा में शिथिलता संशोधन नियमावली 2025 लागू की है. यह संशोधित नियमावली तुरंत प्रभाव से लागू हो गई है. इसका मकसद राज्य कर्मियों को पदोन्नति में शिथिलता का लाभ देने के लिए स्पष्टता लाना है. कार्मिक सचिव शैलेश बगौली ने पदोन्नति में शिथिलता संशोधन नियमावली से जुड़े आदेश जारी किए हैं.
नए नियमों के अनुसार यदि किसी विभाग में पदोन्नति हेतु निर्धारित योग्यता अवधि पूरी नहीं हो रही है, तो संबंधित विभागाध्यक्ष अब न्यूनतम आवश्यक सेवा अवधि में से अधिकतम 50 प्रतिशत तक की शिथिलता दे सकते हैं. इसके लिए विभागाध्यक्ष की अध्यक्षता में गठित समिति की संस्तुति अनिवार्य होगी. समिति में नियंत्रक वित्त, कार्मिक प्रतिनिधि और विभागाध्यक्ष द्वारा नामित एक अधिकारी शामिल रहेगा.
महत्वपूर्ण यह है कि शिथिलता केवल उन्हीं पदों पर दी जा सकेगी, जिनके लिए वरिष्ठता के आधार पर पदोन्नति होती है. इसके अलावा यदि किसी सेवा नियमावली में उच्चतर पद पर पदोन्नति हेतु अधीनस्थ सेवा में अलग-अलग श्रेणियों का सम्मिलित अनुभव अनिवार्य है, तो उस स्थिति में भी 50 प्रतिशत तक की शिथिलता दी जा सकती है.
दस्तावेज में दिए गए उदाहरण के अनुसार यदि किसी संवर्ग में उच्च पद ख पर पदोन्नति हेतु 18 वर्ष का सम्मिलित अनुभव अनिवार्य हो, परंतु किसी अधिकारी की उपलब्ध सेवा 16 वर्ष है, तो नई नियमावली के अनुसार 2 वर्ष तक की कमी को शिथिल किया जा सकेगा. यानी अब न्यूनतम सेवा से प्रोबेशन पीरियड को कम किया जायेगा. हालांकि, यह शिथिलता प्रदान करते समय यह सुनिश्चित किया जाएगा कि अधिकारी ने कतिपय अधीनस्थ पदों पर न्यूनतम सेवा अवधि अवश्य पूरी की हो.
शासन के अनुसार संशोधित नियमावली का उद्देश्य पदोन्नति प्रक्रियाओं में अनावश्यक देरी को रोकना तथा योग्य अधिकारियों को समय पर प्रमोशन का अवसर प्रदान करना है. सचिव शैलेश बगौली द्वारा यह आदेश जारी किया गया है. नए नियम लागू होने से विभिन्न विभागों में लंबित पदोन्नति प्रक्रियाओं को तेजी मिलने की उम्मीद जताई जा रही है.
उत्तराखंड में पिछले लंबे समय से रिक्त पदों पर समय से पदोन्नति किए जाने के निर्देश दिए जाते रहे हैं. इसका मकसद जहां एक तरफ कर्मचारी या अधिकारी को समय से पदोन्नति देना है तो वहीं रिक्त पदों को समय से भरना भी है. वही ऐसी स्थिति में नए पदों पर भर्ती के मौके तैयार होते हैं, जिससे युवाओं को भी सरकारी सेवा में जाने का मौका मिल पाता है.
