श्रीनगर की रात फिर दहल उठी। शुक्रवार देर रात करीब 11:20 बजे नौगाम पुलिस थाने में अचानक ऐसा धमाका हुआ कि जैसे पूरी वादी ने एक ही धड़कन में डर को महसूस किया। विस्फोट इतना तीव्र था कि इसकी आवाज़ राजबाग, पुराना सचिवालय, छानपोरा, सनतनगर, रावलपोरा और पंथा चौक जैसे सात किलोमीटर दूर तक के इलाकों में सुनाई दी।
धमाके के तुरंत बाद लगी आग ने थाने परिसर में खड़ी एक दर्जन से अधिक गाड़ियों को चंद ही मिनटों में खाक में बदल दिया। धुएँ और आग की लपटों के बीच मची अफरा-तफरी में कम से कम नौ लोगों की जान चली गई, जबकि 27 लोग—जिनमें बड़ी संख्या पुलिसकर्मियों की है—घायल हो गए। कई घायलों की हालत गंभीर बताई जा रही है।
सैंपलिंग के दौरान धमाके की आशंका
प्रारंभिक तौर पर सामने आया है कि हाल ही में पकड़े गए सफेदपोश आतंकी मॉड्यूल से जुड़े मामले में जब्त किए गए भारी मात्रा के विस्फोटकों की सैंपलिंग के दौरान हादसा हुआ हो सकता है।
लेकिन—और यही वह जगह है जहाँ सवाल उठते हैं—अभी तक किसी भी जिम्मेदार अधिकारी ने इसे आधिकारिक तौर पर स्वीकार नहीं किया।
थाने में बरामद 2,900 किलो विस्फोटक की पूरी खेप मौजूद थी या उसका कुछ हिस्सा—यह भी साफ नहीं है। सुरक्षा एजेंसियाँ अब इस बात की गहराई से जांच कर रही हैं कि सुरक्षा मानकों के बीच ऐसी चूक कैसे हो गई।
इलाका सील, रातभर चला बचाव अभियान
धमाके के तुरंत बाद पुलिस ने नौगाम थाना क्षेत्र को पूरी तरह सील कर दिया। सभी मुख्य रास्तों पर नाकाबंदी कर दी गई और किसी को भी घटनास्थल की ओर बढ़ने नहीं दिया गया। रातभर दमकल और बचाव दल आग पर काबू पाने और मलबा हटाने में जुटे रहे।
अब सवाल यह भी उठ रहा है कि इतनी संवेदनशील बरामदगी को थाने परिसर में ही रखने के पीछे क्या मजबूरी थी? और अगर सैंपलिंग हो भी रही थी तो सुरक्षा प्रोटोकॉल का स्तर क्या था?

