इंजीनियर्स का मानना है सेवा विस्तार और प्रभारी व्यवस्था के कारण मुख्य अभियंता से लेकर सहायक अभियंता स्तर तक की पदोन्नतियां प्रभावित हो रही है.
देहरादून: उत्तराखंड में ऊर्जा निगम वैसे तो तमाम मामलों को लेकर चर्चाओं में रहता है, लेकिन इस बार परेशानी की वजह खुद निगम के अफसर ही हैं. दरअसल निगमों में सेवानिवृत्ति के बाद भी बड़े पद पर बैठे अधिकारियों को सेवा विस्तार दिया जा रहा है. यही नहीं विभिन्न पदों पर प्रभारी व्यवस्था को भी बढ़ावा मिला है. लिहाजा अब इंजीनियर्स को ऐसी व्यवस्था के चलते खुद के प्रमोशन पर संकट आने का डर सताने लगा है.
उत्तराखंड ऊर्जा विभागों में सेवानिवृत्ति के बाद भी अधिकारियों को दिए जा रहे सेवा विस्तार और प्रभारी व्यवस्था को लेकर हालात चिंता जनक बनते जा रहे हैं. उत्तरांचल पावर इंजीनियर्स एसोसिएशन ने इसे विभाग की कार्यकुशलता और पदोन्नति व्यवस्था पर गहरा असर डालने वाला बताया है.

सेवा विस्तार और प्रभारी व्यवस्था के कारण मुख्य अभियंता से लेकर सहायक अभियंता स्तर तक की पदोन्नतियां प्रभावित हो रही हैं. इससे न केवल अधिकारियों में असंतोष बढ़ा है, बल्कि विभागीय मनोबल और ऊर्जा योजनाओं के क्रियान्वयन पर भी नकारात्मक असर पड़ा है.
इंजीनियर राहुल चनाना ने कहा जब सेवानिवृत्त अधिकारी सेवा विस्तार पर पदों पर बने रहते हैं तो विभाग में यह संदेश जाता है कि सक्षम और योग्य अधिकारियों पर भरोसा नहीं किया जा रहा. इससे संगठनात्मक दक्षता कमजोर होती है. निर्णय लेने की प्रक्रिया धीमी पड़ती है.
एसोसिएशन ने सरकार से मांग की है कि ऊर्जा विभाग में सेवा विस्तार और प्रभारी व्यवस्था को तुरंत समाप्त किया जाए. लंबित पदोन्नतियों पर शीघ्र निर्णय लेकर नियमित नियुक्ति प्रक्रिया शुरू की जाए. जिससे विभाग में पारदर्शिता, जवाबदेही और कार्यकुशलता बढ़ेगी.
