दीपावली के दौरान लोग जमकर आतिशबाजी करते हैं. जिससे वायु प्रदूषण काफी दिनों तक रहता है.
देहरादून: राजधानी देहरादून में एयर क्वालिटी इंडेक्स संतोषजनक स्थिति में है. हालांकि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की नजर दीपावली के दिन पर है जब आतिशबाजी के बाद प्रदूषण के बढ़ने की संभावना सबसे ज्यादा रहती है. पिछले सालों के आंकड़े भी इस बात की तस्दीक करते हैं कि देहरादून समेत तमाम शहरों में दीपावली पर एयर क्वालिटी इंडेक्स सबसे खराब रहता है. खास तौर पर दिवाली से पहले पर्यावरण प्रदूषण बोर्ड के लिए इसे काबू करना बड़ी चुनौती है और इसलिए जन जागरूकता के साथ लगातार ड्रोन से पानी का छिड़काव किया जा रहा है.
हालांकि इस बार पिछले सालों की मुकाबले ज्यादा जागरूकता अभियान चलाये जाने पर ध्यान दिया गया है. इसके अलावा तकनीक का भी इस्तेमाल किया जा रहा है, इसी कड़ी में इस वक्त ड्रोन से पानी के छिड़काव पर विशेष रूप से ध्यान दिया गया है. खास बात यह है दीपावली से करीब एक हफ्ते पहले से ही ड्रोन के जरिए छिड़काव का काम शुरू कर दिया गया था, जबकि यह काम दीपावली के एक हफ्ते बाद भी जारी रहेगा.
राजधानी देहरादून की बात करें तो यहां पर एयर क्वालिटी इंडेक्स 75 तक बना हुआ है जो की संतोषजनक स्थिति में माना जाता है. इसके अलावा हरिद्वार से लेकर ऋषिकेश और काशीपुर, रुद्रपुर तक भी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की तरफ से सीधे तौर पर निगरानी रखी जा रही है. इस बार प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अलावा थर्ड पार्टी को भी प्रदूषण नियंत्रण के लिए निगरानी का जिम्मा दिया गया है.
राज्य में करीब 17 जगह पर प्रदूषण नियंत्रण के लिए ड्रोन से पानी का छिड़काव किया जा रहा था, लेकिन दीपावली के दिन 25 से ज्यादा जगह पर ड्रोन से छिड़काव की प्रक्रिया गतिमान है. कोशिश की जा रही है कि उन चिन्हित क्षेत्र में सभी जगह पर ड्रोन से पानी का छिड़काव कर दिया जाए जहां पर धूल के कणों के पर्यावरण में फैलने की संभावना ज्यादा है. वहीं देहरादून समेत उत्तराखंड के कुछ जिलों के लिए पीएम (वायु प्रदूषण के कण, पार्टिकुलेट मैटर) 2.5 और पीएम 10 बड़ी मुसीबत बन गया है.
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव पराग मधुकर धकाते बताते हैं कि राज्य में शहरी क्षेत्र में खासतौर पर ड्रोन का इस्तेमाल किया जा रहा है. इंडस्ट्रियल क्षेत्र में भी इसका प्रयोग किया जा रहा है, इतना ही नहीं दूसरी मशीनों के जरिए भी पानी के छिड़काव का काम किया जा रहा है. साथ ही नगर निगमों को भी इसके लिए दिशा निर्देश पहले ही जारी कर दिए गए हैं.
