बड़ी खबर : केवल नाम ही लंका नहीं…..गांव में रावण – विभीषण भी है मौजूद। आखिर पुलिस विभाग में क्यों है यहाँ के इतने लोग 

बोकारो के चंदनकियारी प्रखंड में एकअनोखा गांव बसा है।  जिसका नाम है ‘लंका’।  यह नाम सुनते ही त्रेता युग और रावण की छवि मन में उभरती है।  लेकिन इस गांव का रामायण काल से कोई लेना-देना नहीं है,  पर यहां रावण और विभीषण भी मौजूद हैं।  यह गांव अपने अनोखे नाम के लिए तो प्रसिद्ध है ही, साथ ही यहां से भारी संख्या में लोग पुलिस सेवा में योगदान दे रहे हैं।  यह भी इस गांव की एक पहचान है।  गांव के करीब 40-45 लोग पुलिस विभाग में कार्यरत हैं। 
कैसे शुरू हुआ सिलसिला?
लंका गांव के निवासी और हाई स्कूल शिक्षक विकास कुमार महतो ने लोकल18 को जानकारी देते हुए बताया कि लंका नाम की वजह से इलाके में यह गांव कोतुहल का विषय भी बनता है।  लेकिन यहां कि एक खासियत का लोग लोहा भी मानते हैं।  उन्होंने कहा कि गांव से भारी संख्या में युवा पुलिस विभाग में नौकरी लेते हैं।  इसके लिए वे कड़ी मेहनत करते हैं। 
रावण-विभीषण भी पुलिस में…
गांव में सबसे पहले साल 2002 में दलगोविंद महतो , रेखा महतो सुमित्रा महतो, शिव प्रसाद महतो का चयन झारखंड पुलिस में हुआ था।  उसके बाद से यह सिलसिला जारी है।  एक दूसरे से प्रेरित होकर गांव के युवा पुलिस सेवा जा रहे हैं।  जो सिपाही और विभिन्न पदों पर आसिन है।  यहां तक की गांव के तीन भाई रावण महतो, विभीषण महतो और महेंद्र महतो भी पुलिस विभाग में ही कार्यरत है। 
कोचिंग की नहीं है सुविधा
धनबाद पुलिस बल में कार्यरत अंबुज महतो ने बताया कि लंका गांव बोकारो का एक सुदूरवर्ती क्षेत्र है, जहां कोचिंग संस्थानों की सुविधा नहीं है।  इसके बावजूद यहां के युवाओं में पुलिस सेवा को लेकर जबरदस्त उत्साह है।  उन्होंने कहा कि गांव के लगभग 45 पुलिस बल में हैं।  युवा मिलकर पढ़ाई और फिजिकल की तैयारी करते हैं। 
1-1 घर में कई नौकरियां
धनबाद पुलिस में हवलदार के पद पर कार्यरत अशोक महतो ने बताया कि उनके परिवार से चिंतामणि महतो और भारती देवी भी झारखंड पुलिस में सिपाही के रूप में कार्यरत हैं।  इस गांव का माहौल काफी अच्छा है. सभी एक दूसरे की मदद कर आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करते हैं। 
महिला भी पाई सफलता
वहीं उमेश चंद्र महतो ने बताया कि उनकी पत्नी आशा महतो बोकारो पुलिस होमगार्ड में सेवा दे रही हैं।  उनका चयन शादी के बाद हुआ है।  पत्नी ने घर, परिवार, बच्चों को संभालने के साथ-साथ तैयारी की।  अपनी मेहनत और लग्न के बल पर नौकरी हालिस की है। 

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